Programming कंप्यूटर को काम करने के लिए निर्देश देने का एक तरीका है। यह एक सेट के नियम और दिशानिर्देश होते हैं जो कंप्यूटर को क्या करना है बताते हैं। सरल शब्दों में, प्रोग्रामिंग कंप्यूटर के लिए रेसिपी बनाने जैसा होता है। यह व्यवसाय, विज्ञान, चिकित्सा और मनोरंजन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में आता है।
इस लेख में, हम प्रोग्रामिंग क्या होती है, इसका महत्व, प्रोग्रामिंग के मूल सिद्धांतों के बारे में जानेंगे। हम इसके साथ ही प्रोग्रामिंग के इतिहास और प्रोग्रामिंग के विभिन्न प्रकारों की एक झलक भी देखेंगे। प्रोग्रामिंग का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत में निर्माताओं ने मशीन को सीधे निर्देश दिए थे। उसके बाद प्रोग्रामिंग की विभिन्न भाषाएं विकसित की गईं जिनमें COBOL, FORTRAN, C++, Python, Java और Ruby शामिल हैं। ये भाषाएं तकनीक विकास के साथ-साथ नए-नए उद्योगों में भी उपयोग की जाती हैं।
अनुक्रम
Programming क्या है – What is Programming in Hindi?
Programming एक ऐसा क्रियाविधि है जिससे हम कंप्यूटर को निर्देश देते हैं कि वह कैसे काम करें। यह निर्देश एक सेट के नियमों और अनुशासन पर आधारित होते हैं जो कंप्यूटर को क्या करना है बताते हैं। सरल शब्दों में, प्रोग्रामिंग कंप्यूटर के लिए रेसिपी बनाने जैसा होता है। जिसके आधार पर यह कार्यो को पूरा करके हमारे काम को आसान बनाता है।
Programming के माध्यम से हम कंप्यूटर को अलग-अलग तरह के काम करने के लिए निर्देश दे सकते हैं, जैसे कि सॉफ्टवेयर बनाना, वेबसाइट बनाना, डाटा एनालिसिस करना, और अन्य कंप्यूटर संबंधित कार्य करना। प्रोग्रामिंग कंप्यूटर जगत में बहुत अहम भूमिका निभाती है और यह विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग की जाती है जैसे व्यवसाय, विज्ञान, चिकित्सा, मनोरंजन और तकनीकी क्षेत्र।
Programming कितने प्रकार की होती है?

प्रोग्रामिंग के विभिन्न प्रकार हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
#1 विधिमान प्रोग्रामिंग (Procedural Programming) – इस प्रकार की प्रोग्रामिंग में, कोड को फंक्शन या प्रोसेस के रूप में विभाजित किया जाता है जो कि एक से अधिक लाइनों का होता है। इसमें स्टेटमेंट्स को एक के बाद एक क्रम में लिखा जाता है जो कि कंप्यूटर द्वारा समझा जाता है।
#2 वस्तु-अनुसंधान प्रोग्रामिंग (Object-Oriented Programming) – इस प्रकार की प्रोग्रामिंग में, कोड को वस्तुओं के रूप में विभाजित किया जाता है जो कि रीयल-वर्ल्ड ऑब्जेक्ट के समान होते हैं। इसमें क्लास, ऑब्जेक्ट, फंक्शन, इंहेरिटेंस, पॉलीमोर्फिज़म जैसी अधिकतर तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
#3 घटना-आधारित प्रोग्रामिंग (Event-Driven Programming) – इस प्रकार की प्रोग्रामिंग में, एक इवेंट को हैंडल करने के लिए कोड लिखा जाता है। इसमें एक इवेंट होता है जो उपयोगकर्ता या कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न होता है और उसे हैंडल करने के लिए कोड लिखा जाता है।
#4 संदर्भ-आधारित प्रोग्रामिंग (Context-Driven Programming) – इस प्रकार की प्रोग्रामिंग में, प्रोग्राम के लिए संदर्भ या माहौल स्थापित किया जाता है। इसमें, प्रोग्राम को विभिन्न संदर्भों में चलाने की अनुमति दी जाती है जैसे कि समय, स्थान, यूजर के पसंद आदि। यह उपयोगकर्ता को बेहतर तरीके से समझने और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री को साझा करने में मदद करता है।
प्रोग्रामिंग के महत्व या आवश्यकताएं
प्रोग्रामिंग का महत्व आज के समय में बहुत ज्यादा है। जैसे कि दुनिया तक के संचार के लिए इंटरनेट, स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर और दूसरे डिजिटल उपकरणों का उपयोग होता है। सभी इन उपकरणों के पीछे भी प्रोग्रामिंग होती है। इससे हमें विभिन्न कामों को अधिक आसानी से करने में मदद मिलती है, जैसे कि संचार, बैंकिंग, वित्तीय संस्थाएं, विज्ञान, संगणक और अन्य क्षेत्रों में उपयोग होती है। इसलिए प्रोग्रामिंग का सीखना आजकल बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
Programming न केवल टेक्नोलॉजी क्षेत्र में बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों की भी बढ़ती मांग के कारण अहमियत बढ़ रही है। इसके अलावा, प्रोग्रामिंग से नए-नए सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन और टूल विकसित कर सकते हैं, जो आगामी दौर के लिए भी उपयोगी होते हैं। यह उद्योग और व्यापार में आर्थिक वृद्धि लाता है और सभी के लिए एक समान अवसर प्रदान करता है। अतः, प्रोग्रामिंग का सीखना आजकल अपनी करियर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक कदम है।
प्रोग्रामिंग के मूल सिद्धांत (Basic Principles of Programming)
प्रोग्रामिंग के मूल सिद्धांत (Basic Principles of Programming) निम्नलिखित होते हैं:
- विश्लेषण: प्रोग्रामिंग का पहला सिद्धांत होता है विश्लेषण, जो उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं को समझने और उन्हें समस्या के सामने से हटाने के लिए प्रोग्राम बनाने की प्रक्रिया का आरंभ करता है।
- अभिव्यक्ति: दूसरा सिद्धांत अभिव्यक्ति होता है, जो प्रोग्राम के लिए उपयोग किए जाने वाले भाषा, लेखन और अन्य संचार साधनों का चयन करता है।
- तंत्रज्ञान: तीसरा सिद्धांत तंत्रज्ञान होता है, जो प्रोग्रामिंग में उपयोग किए जाने वाली टूल्स और संसाधनों को समझने की प्रक्रिया का आरंभ करता है।
- प्रोग्राम लिखना: चौथा सिद्धांत प्रोग्राम लिखना होता है, जो प्रोग्राम बनाने की प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया कई भागों में विभाजित होती है जैसे कि प्रोग्राम का डिजाइन, कोडिंग, टेस्टिंग आदि।
हाल ही में पूछे गए प्रश्न
प्रोग्रामिंग कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निर्देशित करने का काम होता है। इसका उपयोग सॉफ्टवेयर, एप्लिकेशन, गेम, वेबसाइट और अन्य डिजिटल उत्पादों के विकास में किया जाता है।
प्रोग्रामिंग के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कि मशीन भाषा, एसेम्बली, स्ट्रक्चर और फंक्शनल प्रोग्रामिंग, ओब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग, वेब डेवलपमेंट, गेम डेवलपमेंट आदि।
प्रोग्रामिंग में कई भाषाएं उपयोग की जाती हैं, जैसे कि C++, Python, Java, JavaScript, PHP, Ruby, Swift आदि। हर भाषा की अपनी विशेषताएं होती हैं और उन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रोग्रामिंग सीखने के लिए समय आपकी प्रतिभा, मेहनत और शुरुआती स्तर पर निर्भर करता है। यदि आप इसे नियमित रूप से समझते हैं तो आप इसमें उच्च स्तर तक पहुंचने में सक्षम हो सकते हैं।
हाँ, हम प्रोग्रामिंग भाषाएं बिना कंप्यूटर के भी सीख सकते हैं। इसके लिए हम ऑनलाइन ट्यूटोरियल, वीडियो ट्यूटोरियल, पुस्तकें और अन्य संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष :- ( Conclusion )
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अंत तक पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से शुक्रिया

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